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लेखनी कहानी -01-Jun-2022 डायरी जून 2022

गुरूर तोड़ते उपचुनाव 


सखि, 

जब आदमी का गुरूर सातवें आसमान पर पहुंच जाता है तो आम आदमी ही इस गुरूर को तोड़कर ऐसे आदमी को सबक सिखाता है । लोकसभा उपचुनाव के परिणाम यही बता रहे हैं सखि । 

अभी हाल ही में तीन लोकसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे । तीनों ही लोकसभा क्षेत्र अति विशिष्ट क्षेत्र थे । एक क्षेत्र था उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र । यह सीट समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव की सीट थी । शुरू से ही यह सीट मुलायम सिंह यादव के परिवार की रही है । 2014 में यहां से मुलायम सिंह यादव और 2019 में यहां से अखिलेश यादव जीते । यों कहें कि यह सीट मुलायम सिंह यादव परिवार के लिए सबसे सुरक्षित सीट थी तो कोई आश्चर्य नहीं होगा । 

अखिलेश यादव के विगत विधान सभा चुनावों में करहल विधान सभा से विधायक बनने और राज्य की राजनीति करने के लिहाज से अखिलेश ने आजमगढ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया । इस कारण यहां पर उपचुनाव हुए  । उपचुनाव में अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया लेकिन चुनाव जीता भारतीय जनता पार्टी के निरहुआ ने । आजमगढ जिसे आतंकगढ भी कहा जाता है क्योंकि यहां से आतंकवादियों की फौज निकलती है और एक खास समुदाय पर समाजवादी पार्टी मेहरबान रही है । तो समाजवादी पार्टी ने इस सीट को घरेलू सीट समझ लिया । मगर इस बार उस खास समुदाय ने अखिलेश को वोट नहीं दिया तो अखिलेश की लंका जलकर राख हो गई । इस सीट से धर्मेंद्र यादव नहीं हारे बल्कि अखिलेश यादव गुरूर टूटा है । 

दूसरी लोकसभा सीट है उत्तर प्रदेश की ही रामपुर । कभी बॉलीवुड में एक गाना चलता था "रामपुर का वासी हूं मैं लक्ष्मण मेरा नाम , सीधी सादी बोली मेरी सीधा सादा काम" । लेकिन वक्त बदला और रामपुर में धीरे एक खास समुदाय का प्रभुत्व बढता गया । यहां पर मुसलमान 56% से अधिक हो गये । उत्तर प्रदेश के और भारत के मुसलमानों के कुछ तथाकथित रहनुमाओं में आजम खान की भी गिनती होती है । वही आजम खान जिन्होंने एक प्रसिद्ध अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार जयाप्रदा की "चड्डी" पर घटिया कमेंट किया था और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ बल्कि रामपुर की जनता ने उसे और भी ज्यादा समर्थन दिया था । इस देश की जनता और एक खास समुदाय के लोग औरत पर टिप्पणी करने वालों पर विशेष मेहरबानी करते हैं । वो आजम खान जिस पर सौ से अधिक FIR दर्ज हैं जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल की पैरवी पर जमानत दे दी है । बदले में आजम खान ने कपिल सिब्बल को राज्य सभा में पहुंचा दिया । वो आजम खान जो रामपुर में अपने समुदाय के वोटों के कारण अजेय था । उस आजम खान ने अपने खास आदमी असीम रजा को उम्मीदवार बना दिया । यहां आजम खान और अखिलेश यादव में भी मन मुटाव देखने को मिला । उसी का परिणाम था कि अखिलेश यादव चुनाव प्रचार करने ही नहीं गये । यहां भी आम जनता ने आजम खान का का गुरूर तोड़ दिया और भाजपा के घनश्याम लोदी को भारी मतों से विजयी बना दिया । 

अब आते हैं तीसरी सीट पर । अभी तीन महीने पहले ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सुनामी ने बाकी दलों का सत्यानाश कर दिया था । 2019 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के जीतने वाले एकमात्र सांसद भगवंत मान थे । अब वे मुख्यमंत्री बन गये और संगरूर की लोकसभा सीट खाली हो गई । पर यह कहते हुए बड़ा आश्चर्य हो रहा है सखि कि आम आदमी पार्टी की जो सुनामी अभी तीन महीने पहले आई थी , इस उपचुनाव में वही आम आदमी पार्टी हार गई और अकाली दल जीत गया । विधान सभा चुनावों में मिली एकतरफा जीत से आदमी पार्टी का जो गुरूर सातवें आसमान पर बोलने लगा था , जनता ने उसे एक झटके में तोड़ दिया । 

सखि, ये नतीजे ऐसे नेताओं के लिए संदेश है जो खुद को "भगवान" से भी बड़ा समझने लग जाते हैं । उन्हें यह पता होना चाहिए कि लोकतंत्र में जनता मालिक है न कि नेता । जनता इन्हें अब समझा यही रही है , मगर धीरे धीरे । 

आज के लिए इतना ही काफी है सखि, कल फिर मिलते हैं । 
हरिशंकर गोयल "हरि" 
26.6.22 

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2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 12:42 PM

Nice

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Gunjan Kamal

06-Mar-2023 08:51 AM

Nice 👍🏼

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